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25 July 2023
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम- कारण एवं निवारण
डॉ. राकेश कुमार शर्मा
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डॉ. राकेश कुमार शर्मा

एसोसिएट प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर शरीर रचना विभाग, स्नातकोत्तर आयुर्वेद अध्ययन संस्थान,

चीफ प्रॉक्टर, निदेशक, मानव संसाधन विकास केन्द्र, निदेशक, केन्द्रीय पुस्तकालय

सदस्य, प्रबन्ध मण्डल, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर

Email:   rksharma_jumbo@yahoo.co.in,  rksharma69jumbo@gmail.com

Phone No.:   9166216760, 9413113959

आज के युग में हमारी जिंदगी स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर अत्यन्त निर्भर होती जा रही है। माना कि इसका उपयोग आज के समय में व्यापार, शिक्षा, कार्यालयीय व्यवस्थाओं के लिए नितान्त आवश्यक है। किन्तु इस पर पूरी तरह ही निर्भर हो जाना मानव जाति के लिए एक अत्यन्त भयंकर समस्या का रूप धारण करता जा रहा है, जिससे केवल पारिवारिक बल्कि सामाजिक स्तर पर मनुष्यों में परस्पर दूरी बढ़ती जा रही है अपितु शारीरिक तौर पर भी इसके कई दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। समय का उपयोग करने के लिए सभी आयु वर्ग के व्यक्ति मनोरंजन हेतु स्मार्टफोन या लैपटाप का सहारा लेने लगे हैं। विज्ञान की नित नई आविष्कृत हो रही तकनीकों पर आधारित विविध प्रभावी क्षमताओं से युक्त इन फोन अथवा लैपटॉप के अत्यधिक उपयोग से स्क्रीन पर निरन्तर फोकस करने के कारण हमारी आँखों को अत्यधिक दबाव झेलना पड़ता है। यही कारण अब कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का रूप में कुख्यात हो रहा है। यह सिंड्रोम अपने आप में आंखों की परेशानियों का एक समूह है। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम क्या है, इसकी जानकारी और इसके आँखों को कैसे बचायें, आइये, इस बारे में जानते हैं।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (CVS) को डिजिटल आई स्ट्रेन के रूप में भी जाना जाता है। यह रोग लंबे समय तक स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, टैबलेट आदि उपकरणों के उपयोग के कारण से होने वाली आंखों और नज़र से जुड़े विकारों को कहते हैं। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम आंखों के तनाव और दर्द से संबन्धित कई विकृतियों का समूह है। अनुसन्धान से यह सिद्ध हुआ है कि यह समस्या कंप्यूटर स्क्रीन पर तीन घंटे या उससे अधिक समय तक काम करने वाले अधिकांश लोगों को होने की संभावना अधिक होती है।

यह परेशानी नौकरीपेशा लोगों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज के समय में पारिवारिक अथवा सामाजिक स्तर पर आजीविकोपार्जन अथवा अन्य कारणों  से व्यस्तता होने के कारण बच्चों के लिए समयाभाव होने से छोटे-छोटे बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। यह परेशानी और विकराल हो जाती है, जब कंप्यूटर या स्मार्टफोन आदि का उपयोग कम रोशनी वाले स्थान में किया जाता है। एन्ड्रॉयड अथवा डिजिटल स्क्रीन के उपयोग की अवधि निरन्तर बढ़ती जा रही है, इस कारण यह समस्या निरन्तर विकाराल होती जा रही है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण के महत्त्वपूर्ण लक्षण निम्नानुसार हैं-

    • सिर दर्द
    • आँखों में तनाव
    • आँखों में शुष्कता
    • नज़र में धुंधलापन
    • आँखों में जलन
    • आंखों का लाल होना
    • आँखों में थकान होना
    • दूर और पास के बीच बारबार दृष्टि केन्द्रित करने में कठिनाई
    • गर्दन, पीठ और कंधे में दर्द

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम होने के निम्न प्रमुख कारण हैंः

    • नज़दीक का कार्य करने में नेत्रों को केन्द्रित करने में कठिनाई होना
    • कंप्यूटर स्क्रीन के उपयोग अथवा इस पर कार्य करते समय उचित दूरी पर नहीं बनाये रखना
    • कार्यशैली के कारण आंख की मांसपेशियों पर तनाव
    • पलकों का कम झपकाना और आंसुओं के सही से निर्माण होने की स्थिति
    • अत्यधिक मानसिक तनाव में कार्य करना
    • आंखों  के लिए उपयोगी विटामिन तथा अन्य आवश्यक पौष्टिक आहार का सम्यक् उपयोग करना
    • कम रोशनी वाले स्थान में स्क्रीन पर काम करना

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के अन्तर्गत डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) का असर आँखों पर कितना हो सकता है, यह इस बात पर आधारित होता है कि व्यक्ति कितनी देर निरन्तर डिजिटल स्क्रीन का उपयोग कर रहा है। इस समय के कम या ज़्यादा होने के आधार पर जितना अधिक समय का उपयोग होगा, समस्या भी उतनी ही ज़्यादा होगी।

डिजिटल आई स्ट्रेन पर आधारित परेशानियां और इसके लक्षण अधिकांश मामलों में मात्र अस्थायी होती हैं जो सामान्यतः कंप्यूटर या इस प्रकार के विविध उपकरणों के उपयोग को रोकने के बाद स्वतः ही  समाप्त हो जाते हैं। हां, कुछ व्यक्तियों में यह परेशानी डिजिटल स्क्रीन के उपयोग को बंद करने के बाद भी हो सकती है। ऐसे लोगों को सरदर्द अथवा धुंधला दिखाई देना जैसी परेशानियां बनी रह सकती हैं। ऐसे लोगों को अवश्य ही नेत्र चिकित्सक से यथोचित परामर्श लेना चाहिए।

डिजिटल आई स्ट्रेन से रक्षा हेतु सर्वप्रथम अनिवार्य रूप से उन अवस्थाओं और कारणों की जांच करनी चाहिए जिसके कारण कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। जितनी जल्दी इसके कारणों का पता चल जाएगा, डिजिटल आई स्ट्रेन से होने वाली परेशानिओं से उतनी ही शीघ्रता से रक्षा की जा सकेगी। यदि इस परेशानी की पहचान समय से नहीं हो पाती है तो इसके लक्षण और गम्भीर होते जाएंगे और इसके ईलाज़ में उतनी ही ज्यादा दिक्कत बढ़ती जाएगी।

इस विकार के समाधान और रोकथाम के लिए निम्न बातों पर ध्यान देंः

    • कंप्यूटर स्क्रीन का उपयोग करते समय निर्धारित अथवा सही पोजीशन में बैठ कर कार्य करना चाहिए
    • कंप्यूटर स्क्रीन को आँखों के लेवल से 10-25 डिग्री नीचे की ओर अवस्थित करना चाहिए
    • कंप्यूटर स्क्रीन का उपयोग करते समय एंटी ग्लेयर चश्मे का उपयोग करना चाहिए
    • केवल मात्र मनोरंजन के लिए डिजिटल स्क्रीन पर का अधिकतम उपयोग नहीं करना चाहिए
    • आँखों की पलकों को बार-बार झपकाने का प्रयास करें। इससे आँखों की सतह में नमी बनी रहती है।
    • 20-20-20 नियम का पालन करते हुए हर 20 मिनट के बाद 20 फीट दूरी पर कुछ देखने के लिए कम से कम 20 सेकंड का ब्रेक लेना चाहिए
    • निरन्तर दो घंटे कम्प्यूटर स्क्रीन पर कार्य करने के बाद कम से कम 15 मिनट नेत्रों को आराम देना चाहिए
    • कंप्यूटर की स्क्रीन को चेहरे से लगभग दो फुट दूर रखना चाहिए। आंखों की सुरक्षा के लिए यह दूरी सबसे सुरक्षित मानी जाती है। 
    • कंप्यूटर स्क्रीन का उपयोग करते समय बीच-बीच में आँखों को समय-समय पर ठंडे पानी के छींटे देते रहना चाहिए।
    • आंखों में दिन में तीन-चार बार गुलाब जल की दो-दो बून्द डालनी चाहिए।
    • आँखों की नियमित रूप से जांच करवाने और उपरोक्तानुसार स्क्रीन पर देखने की सही आदतों को अपनाने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से छुटकारा पाया जा सकता है
    • और हां, यदि दृष्टि में धुंधलापन होने लगे और जलन या आँखों में तनाव बना रहे तो नेत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

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